Congress Rajya Sabha Candidates- कांग्रेस ने 4 राज्यों में राज्यसभा उम्मीदवार घोषित किए; राजस्थान से सोनिया गांधी, हिमाचल से कौन?

कांग्रेस ने 4 राज्यों में राज्यसभा उम्मीदवार घोषित किए; राजस्थान से सोनिया गांधी, जानिए हिमाचल, बिहार और महाराष्ट्र से कौन?

Congress Releases Rajya Sabha Candidates List Rajasthan Himachal Pradesh

Congress Releases Rajya Sabha Candidates List Rajasthan Himachal Pradesh

Congress Rajya Sabha Candidates: कांग्रेस ने राज्यसभा द्विवार्षिक चुनाव के लिए 4 राज्यों में अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। राज्यसभा के लिए राजस्थान से सोनिया गांधी, हिमाचल प्रदेश से अभिषेक मनु सिंघवी, बिहार से अखिलेश प्रसाद और महाराष्ट्र से चन्द्रकान्त को उम्मीदवार बनाया गया है। यहां से इन्हें राज्यसभा भेजा जा रहा है।

कांग्रेस द्वारा जारी लिस्ट

Congress Releases Rajya Sabha Candidates List Rajasthan Himachal Pradesh


सोनिया गांधी ने जयपुर में नामांकन दाखिल किया

राजस्थान से राज्यसभा उम्मीदवार सोनिया गांधी बुधवार सुबह ही नामांकन दाखिल करने जयपुर पहुंच गईं थीं। सोनिया के नामांकन के लिए सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा भी साथ आए। इसके अलावा पार्टी के कई नेता भी मौजूद रहे। राजस्थान के पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा कि सोनिया गांधी किसी भी राज्य में जा सकती थीं और राज्यसभा सदस्य बन सकती थीं।

लेकिन अगर उन्होंने राजस्थान को चुना है, तो यह खबर दुनिया भर में जाएगी कि सोनिया गांधी ने राजस्थान चुना है। राजस्थान की चर्चा पूरे देश और दुनिया भर में होगी। गहलोत ने कहा कि इतना अनुभवी कोई व्यक्ति यहां अपना नामांकन दाखिल करने आ रहा है। आप कल्पना कर सकते हैं कि हम सब कितने गौरवान्वित हैं। एनडीए सरकार भी अब सतर्क हो जायेगी।

BJP ने साधा निशाना

सोनिया गांधी को राजस्थान से राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने पर राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सी.पी. जोशी ने कहा, "कांग्रेस के अधिकांश राज्यसभा सदस्य बाहर से ही आए हैं। अच्छा होता अगर कांग्रेस स्थानीय लोगों को वरीयता देती. वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता सोनिया गांधी हैं। अब कांग्रेस थकी है या सोनिया गांधी थकी हैं ये तो जनता निर्णय करेगी। थक तो जरूर गई हैं। हमारी शुभकामनाएं हैं कि वे राज्यसभा में आएं।

27 फरवरी को 56 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव

मालूम रहे कि, 27 फरवरी को देश के 15 राज्यों की 56 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है। इन सीटों के लिए 15 फरवरी तक नामांकन दाखिल किए जा सकते हैं। वहीं उम्मीदवार 20 फरवरी तक अपने नाम वापस ले सकते हैं। राज्यसभा चुनाव वाले राज्यों में यूपी, महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, ओडिशा, हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य शामिल हैं।

राज्यसभा का चुनाव कैसे होता है?

राज्यसभा का चुनाव कैसे होता है? आखिर कैसे राज्यसभा के सांसद चुने जाते हैं? आइये जानते हैं। दरअसल राज्यसभा के चुनाव में जनता वोटिंग नहीं करती है बल्कि जनता के चुने हुए विधायक इसमें हिस्सा लेते हैं। इसलिए इस चुनाव में जिस पार्टी के पास विधायकों की संख्या अधिक होती है उस पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवार की जीत तय मानी जाती है। हालांकि, यहां ऐसा नहीं है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह जिस सदस्य को सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे, वह जीत जाएगा। राज्यसभा चुनाव के लिए विधायकों की वोटिंग के साथ एक फॉर्मूला भी तय है।

क्या है राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग का फॉर्मूला?

फॉर्मूला के हिसाब से किसी भी सीट से राज्यसभा सांसद बनने के लिए कितने वोटों की जरूरत होती है, यह पहले से तय होता है। इस फॉर्मूले के तहत एक विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या को 100 से गुणा किया जाता है। इसके बाद राज्य में जितनी राज्यसभा की सीटें हैं उसमें एक जोड़ कर भाग दिया जाता है। इसके बाद कुल संख्या में एक जोड़ा जाता है। फिर अंत में जो संख्या निकलती है, उतनी संख्या में विधायकों के वोट किसी उम्मीदवार को राज्यसभा सांसद बनने के लिए चाहिए होते हैं। मतलब अब किसी उम्मीदवार को जीतना है तो उसे सबसे ज्यादा वोट तो चाहिए ही, साथ ही ऊपर बताए गए फॉर्मूले के हिसाब से उसे कम से कम जरूरी वोट भी हासिल करने होते हैं।

राज्यसभा चुनाव के लिए फॉर्मूला

  • कुल विधायकों की संख्याx100/(राज्यसभा की सीटें+1)= +1

यह भी बता दें कि राज्यसभा चुनाव में न तो गुप्त वोटिंग होती है और न ही इसमें ईवीएम का प्रयोग होता है। यहां वोटिंग की प्रक्रिया अन्य चुनाव से काफी अलग है। राज्यसभा चुनाव में भाग लेने वाले हर उम्मीदवारों के नाम के आगे एक से चार तक की संख्या लिखी होती है। किसी वोटर विधायक को अपनी वरीयता के आधार पर संख्या पर निशान लगाना होता है। फिर अपने मतपत्र को अपनी पार्टी के एजेंट को दिखाकर पेटी में डालते हैं। यह मतपत्र अपने पार्टी के एजेंट को न दिखाने पर अवैध हो जाता है। इसी तरह से अगर मतपत्र किसी दूसरी पार्टी के एजेंट को दिखाया जाए तो भी अवैध हो जाता है।

राज्य में राज्यसभा सीटें कैसे तय होती हैं?

ज्ञात रहे भारत में संसद के दो हिस्से हैं। लोकसभा और राज्यसभा। दोनों सदनों से कोई विधेयक पास होने के बाद ही राष्ट्रपति के पास जाता है। वहीं विधेयक पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद विधेयक कानून का रूप ले लेता है और पूरे देश में उसका पालन होने लगता है। बता दें कि राज्यसभा सीटों का आवंटन राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है। जिस राज्य में जितनी जनसंख्या है उस राज्य को उसी हिसाब से सीटें मिलती है। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 31 राज्यसभा की सीटें हैं। राज्यसभा को संसद का उच्च सदन कहा जाता है। क्योंकि राज्यसभा एक स्थाई सदन है। यानी कि ये कभी भंग नहीं हो सकता है। इसके एक तिहाई सदस्य प्रत्येक दो वर्ष के बाद रिटायर होते हैं। राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल छह वर्ष का होता है। लोकसभा का कार्यकाल पांच वर्षों का होता है और वह अस्थाई सदन है।

राज्यसभा सीटों की संख्या

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80 में राज्यसभा के कुल सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 तय की गई है। इनमें से 238 सदस्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से चुने जाते हैं. राज्यसभा के 12 सांसदों को राष्ट्रपति सरकार की सलाह पर मनोनीत करते हैं। ये देश के प्रतिष्ठित लोग होते हैं। फिलहाल राज्यसभा में सदस्यों की कुल संख्या 245 है। वहीं राज्यसभा के सदस्यों के लिए न्यूनतम उम्र सीमा 30 साल तय की गई है. जबकि लोकसभा सदस्यों के लिए यह सीमा 25 साल है। राज्यसभा की जिन सीटों के लिए कार्यकाल पूरा होता जाता है, चुनाव आयोग वहाँ के लिए नए चुनाव की घोषणा करता है।